गाजियाबाद(20अगस्त2015)- उत्तर प्रदेश के एक शिक्षक ने शिक्षा में सुधार और प्रदेश में शिक्षा देने के नाम पर हो रही लूट के खिलाफ साहस जुटाया और हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर दिए गए तर्क को सही माना और प्रदेश सरकार को आदेश जारी किया कि वह सरकारी स्कूलों में प्रदेश के मंत्रियों,अधिकारियों न्यायधीशों व सरकार से वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों के बच्चों को परिषदीय स्कूलों में पढाना अनिवार्य करे। लेकिन प्रदेश सरकार इस आदेश को पचा नहीं सकी तथा याचिका दायर करने वाले शिक्षक को बर्खास्त ही कर दिया। सरकार ने कार्रवाई की वजह इस शिक्षक के विद्यालय से अनुपस्थित रहना माना है। इस शिक्षक का कहना है कि वह लिखित अनुमति लेकर अवकाश पर थे। बावजूद इसके बर्खास्त किया जाना गलत है। यह सीधे सीधे पूर्वाग्रहों से ग्रस्त कार्रवाई है। इसके खिलाफ वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। सुल्तानपुर जिले के एक स्कूल शिक्षक शिव कुमार ने ही अदालत में याचिका दायर की थी और प्रदेश में शिक्षा की स्थिति में सुधार लाने के उददेश्य से उन्होंने यह याचिका दायर की थी। लेकिन उनका बर्खास्त किया जाना कहीं न कहीं प्रदेश सरकार की नीयत में खोट को दर्शाता है। इस मामले पर हम आपकी राय जानना चाहते हैं। हमने जब शिक्षक व अन्य लोग प्रदेश सरकार के इस कदम के बारे में बात की तो काफी लोग इसको गलत मान रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को इस तरह के हथकंडे नहीं अपनाने चाहिए बल्कि इस तरह के मामलों में इस तरह के लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हरेंद्र कसाना सरकार के इस निर्णय को पूरी तरह से अनुचित मानते हैं। उनका कहना है कि शिक्षक श्री पाठक ने हाईकोर्ट में याचिका डालकर देश व समाज हित में काम किया है। सरकार को ऐसे व्यक्ति को सम्मान देना चाहिए जबकि सरकार ने उल्टे उनके खिलाफ कार्रवाई ही कर दी। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करना शुरू कर दिया जाना चाहिए। ताकि सभी वर्गों के बच्चों को पढाई का बेहतर माहौल मिल सके।
आल इंडिया सैफी फ्रंट के अध्यक्ष शकील अहमद सैफ का कहना है कि शिक्षक पाठक ने सरकारी स्कूलों की स्थिति को लेकर बडा काम किया है। जिसे हाईकोर्ट ने भी गंभीरता से लिया लेकिन बडे ही अफसोस की बात है कि सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करने के बजाय पाठक को बर्खास्त ही कर दिया। यह सरकार को जनविरोधी कदम है। लोगों को इसके खिलाफ सडकों पर उतरना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से शिक्षक को तुरंत बहाल करने की मांग की है।