सबसे तेज़…! मतलब सबसे तेज़….! यानि अपने ही पत्रकार की हत्या….! या आत्महत्या…..! या नेचुरल मौत के सवाल से परदा उठाने में सबसे तेज़…! या फिर अपनी पत्रकार की मौत को मैनेज करने भी…..? सबसे तेज़…??????? एक सवाल है….? आप क्या कहते हैं…? और हां एक बात और…. एक पत्रकार की मौत को बेकार न जाने देिया जाएगा… दोस्तों…!
इन सवालों का मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले से जुड़े लोगों की लगातार मौत… इस घोटाले की कवरेज करने गये पत्रकार अक्षय की संदिग्ध मौत, उनके चैनल, चैनल के प्रबंधन या किसी अन्य से कोई सीधा संबध नहीं है। हांलाकि हालात और घटना को देखते हुए किसी को इसमें उस घटना की बू आए तो इसके लिए लेखक ज़िम्मेदार नहीं है।
और हां….मौतों का लगभग आधा शतक….एक पत्रकार, पुलिस कर्मी और सरकारी कर्मियों की मौत के बाद….वर्षों से दबाई जा रही व्यापम घोटाले की गूंज….बल्कि उसमें फंसी सिसकियों से…. कई साल से सोए हमारे बहादुर मीडिया की आंख अब खुल गई…. तो देखना….हर कैमरा…. हर माइक का रुख़ उधर ही हो जाए….तो कोई ताज्जुब नहीं..!
(लेखक आज़ाद खालिद टीवी पत्रकार हैं।)