नई दिल्ली (8जनवरी 2016)-भारत के राष्ट्रपति ने शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 में संशोधन करने के लिए 7 जनवरी, 2016 को शत्रु संपत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश 2016 जारी कर दिया है।
अध्यादेश के माध्यम से इस संशोधन में शामिल है कि यदि एक शत्रु संपत्ति संरक्षक के निहित है, तो यह शत्रु, शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म का विचार किए बिना, अभिरक्षक के निहित ही रहेगी। यदि मृत्यु आदि जैसे कारणों की वजह से शत्रु संपत्ति के रूप में इसे स्थगित भी कर दिया जाता है, तो भी यह अभिरक्षक के ही निहित रहेगी। उत्तराधिकार का कानून शत्रु संपत्ति पर लागू नहीं होता। एक शत्रु अथवा शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म के द्वारा अभिरक्षक में निहित किसी भी संपत्ति का हस्तांतरण नहीं किया जा सकता और अभिरक्षक शत्रु संपत्ति की तब तक सुरक्षा करेगा जब तक अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप इसका निपटारा नहीं होता।