नई दिल्ली(8अगस्त2015)- राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शनिवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र से मुलाकात की । वसुंधरा राजे ने उनसे मांगी की है कि राज्य सरकार की ओर से भेजे गये ‘लघु उद्यमियों के क्लस्टर विकास कार्यक्रम’ सम्बंधी प्रस्तावों को शीघ्र मंजूरी प्रदान की जाए।
इस मौके पर सीएम ने कहा कि राजस्थान सरकार की ओर से भेजे गये चूरू में लकड़ी के फर्नीचर और शिल्प, जोधपुर में एस.एस. शीट्स और बर्तन, कोटा में वेल्डिंग, बीकानेर में ज्वैलरी एवं ऊनी धागा उद्योग क्लस्टर, अलवर में ऑटोमोबाईल पुर्जों का क्लस्टर एवं पाली में प्लास्टिक की चूड़ियाँ बनाने के क्लस्टर स्थापित करने के लंबित प्रस्तावों को जल्द मंजूरी दी जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जोधपुर, अजमेर, धौलपुर, जयपुर और भिवाड़ी में धातुओं एवं अन्य वस्तुओं के सांचे बनाने के औद्योगिक क्लस्टर एवं भीलवाड़ा में सेरेमिक क्लस्टर बनाने के लिए अनुदान प्रस्ताव केन्द्रीय मंत्रालय को ऑनलाईन जमा करवा दिये है, जिन्हें शीघ्र मंजूरी प्रदान की जाये।
राजे ने मुलाकात के दौरान केन्द्रीय मंत्री से आग्रह किया कि राजस्थान के कम से कम पांच जिलों में ‘लाईवलीहुड बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर’ स्थापित करके ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को आधुनिक उद्यम की हुनर सिखाने में दक्ष करने की शुरूआत की जाये। गौरतलब है कि हाल ही में केन्द्रीय लघुउधोग मंत्रालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के उद्यमों में नवीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए ‘‘एस्पायर’’ नाम की योजना शुरू की है। जिसके तहत देश भर में ‘‘लाईवली हुड बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर्स’’ स्थापित करके ग्रामीण क्षेत्रों में विकास एवं उद्यम गतिविधियों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने का लक्ष्य है। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को लघु उद्योगों के प्रति आकर्षित करने एवं उन्हें बेहतर आधुनिक तकनीकियों से सुसज्जित करना इस योजना का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा राजे ने जयपुर के बाईस गोदाम क्षेत्रा में करीब 1.83 लाख वर्ग फुट क्षेत्रा में प्रस्तावित फ्लैट फैक्ट्री कॉम्पलेक्स को मंत्रालय द्वारा जल्द मंजूदी प्रदान करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि राज्य सरकार शीघ्र ही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति-2015 लागू करने जा रही है। इस नीति के माध्यम से उद्यमों एवं उद्यमियों को बेहतर सुविधाएं एवं उद्योग फ्रेंडली वातावरण प्रदान किया जायेगा। साथ ही वित्तीय एवं गैर वित्तीय सहायताएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी।
श्रीमती राजे ने बताया कि दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक/रेल फ्रैट कोरीडोर का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में से होकर गुजरेगा। इस कोरिडोर में भी कई क्लस्टर विकसित करने की विपुल संभावनाएं है। जिसे ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार को विभिन्न क्लस्टर एवं कौशल विकास केन्द्रों को बढ़ावा देने के लिए विशेष सहायता दी जानी चाहिए।
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