रात के 10बजे थे। मैं दिन भर की थकी थी सोने जा रही थी तभी टेबल पर पड़े न्यूज़पेपर पर मेरी नज़र पड़ी। न्यूज़ कुछ ऐसी थी “मोबाइल हाथ में फटने से मौत”। साथ में फ़ोटो भी दी गयी थी जिसमें चेहरा बुरी तरह से झुलसा हुआ था। देख कर मन बहुत बेचैन हो गया । मैंने अपना फ़ोन उठाया और उसे घूर के देखा “मैं तुम्हें अपनी जान से भी ज्यादा सम्भाल के रखती हूँ। खुद गिर जाउगी पर तुम्हें गिरने नही दूँगी । और तुम हाथ में…उफ़ “। ये कह कर मैंने अपना फ़ोन स्विच ऑफ किया और साइड टेबल पर रख कर सो गयी। मैं अच्छे से गहरी नींद सोई हुई थी कि मुझे कुछ आवाज़े सुनाई दी जैसे कोई चिल्ला कर मुझे उठा रहा हैं। मैंने जैसे ही आँखें खोली सामने का दृश्य देख कर मेरी चीख़ निकल गयी। साइड टेबल पर रखा मेरा फ़ोन चिल्ला रहा था।
मैं कमरा छोड़ के भागने ही वाली थी कि मेरा फ़ोन बोला “डरो मत, तुम तो मुझसे प्यार करती हो मेरा ख्याल रखती हो, तो मेरा दर्द भी सुनो।
“तुम्हारा दर्द?” बड़ी हिम्मत जुटा कर मैंने पूछा
“हाँ मेरा दर्द। एक मिनट चैन की साँस नही लेने देते तुम लोग,दिन भर व्हाट्स ऐप,फेसबुक हाईक और पता नही किन किन ऐप्स पर लगे रहते हो और अगर इसी बीच किसी का फ़ोन आजाये तो एक घण्टा नेट भी ऑन गप्पे भी फुल ऑन। फिर आप थक जाते हो तो मूड फ्रेश करने के लिए गाने भी मुझ पर ही लगाये जायेगे। अब लंच पर कोई रेसिपी बनाई जानी हैं तो यू ट्यूब पर डेमो मुझ पर ही चलेगा। तुम लोग तो आराम से लंच कर रहे हो पर लंच करते करते न्यूज़ देखना हो या कोई मूवी तो मैं ही दिखाऊँगा ना। आजकल मोबाइल फ़ोन ही टीवी बना हुआ हैं। पहले जो काम कंप्यूटर के थे वो काम भी मुझसे ही करवाते हो,वीडियो चैटिंग मुझसे ,यहा तक की कुछ लोगों ने अपनी सूरत देखने के लिए mirror भी मुझ में ही डाउनलोड कर रखा हैं। उफ़। अब शाम को बच्चों को पढ़ाना है तो फिर नेट या डिक्शनरी मुझ पर ही खुलेगी। भारी पन्नों वाली डिक्शनरी तो उठाई नही जाती। फिर उसे रखने के लिए जगह भी चाहिए तो बस फ़ोन ही बेस्ट हैं डिक्शनरी के लिए। आखिर फ़ोन सिर्फ कॉल्स करने के लिए ही तो नही रखना होता। हैं ना??चलो कोई बात नही सहन कर लेंगे। लेकिन हद तो मत करिये
“कैसी हद?” मैंने धीरे से पूछा
“बता रहा हूँ सुनती रहिये”।
“ओके” डरते हुए मैंने कहा
“टीवी में टाइम अनुसार भजन ,आरती आती हैं और आपका टाइम तो अलग हैं आप क्यों टीवी के टाइम से adjust करोगे। एडजस्ट तो हम करेगे सन्ध्या के समय आपके पूरे परिवार को आरती सुनाना हमारा काम है।कोई बात नही लेकिन आंटी की तबियत ठीक नही हैं तो नुश्खा भी नेट पर ही ढूंढेंगे हद हैं यार। हालत मेरी भी खस्ता हो गयी हैं पर आपको क्या अभी तो रात का एंटरटेनमेंट बाकि हैं। बैटरी खत्म हो गयी हैं मेरी, लेकिन चार्ज पर लगाकर गाना सुनना जरूरी हैं। अब मेरा कुछ भी नुकसान हो पर आप का एंटरटेनमेंट रुकना नही चाहिए। हैँ ना?? कहना नही चाहिए कभी कभी वीडियो या फ़ोटो खींचना चलता था लेकिन बन्दरों जैसी शक्ले बना बना कर सेल्फी लेते रहना,,बुरा मत मानो दुःखी करो तो मुँह से ऐसी बातें निकल ही जाती हैं।
अब रात के दो बजे तुम लोगोँ का नींद से बुरा हाल, मेरी बैटरी का भी बुरा हाल तुम तो सो गए पर मुझे चार्जर पर लगा कर। सुबह के 5-6बजे अलार्म बजा चार्जर हटा अब सुबह की मैडिटेशन पाठ पूजा एरोबिक्स म्यूजिक भी मेरे पर ही प्ले होगा। पहले कार , गाड़ी में जाते वक़्त गाने तो वही सुन लेते थे पर अब गाड़ी में भी रेडियो स्टेशन सुनना हो या गाने सुनने हो वहा भी मेरा ही इस्तेमाल। अब आप ही बताओ अगर ऐसे में अगर अंगड़ाई लेते हुए चार्ज पर लगी बैटरी फ़ट जाये तो इसमें हमारी गलती कहा हैं?। मोबाइल फ़ोन ने क्या किया जो हर इलज़ाम हम पर। और कितना बताउ अभी तक बहुत कुछ बाकि हैं टाइम के लिए घड़ी का तो ज़माना ही नही रहा,कैलेंडर,डायरी,ड्राइंग,गेम्स… और फ़ोन ज़ोर ज़ोर से रोने लगा “रहम करो मुझ पर”
आंसू तो मेरी आँखों में भी थे। तभी मम्मी ने मुझे हिलाया “अलार्म कब से बज रहा हैं।” मैं घबरा के उठी।
“क्या हुआ?” मम्मी ने मेरे चेहरे के भाव पढ़ते हुए पूछा
“बहुत डरावना सपना था” इतना कह कर मैंने मम्मी को कस के पकड़ लिया।
अभी तो ये सपना ही था लेकिन इसमें कुछ भी झूठ नही था। हम लोग भूल गए है क़ि फ़ोन एक बिजली का उपकरण हैं और जिस तरह हम बिजली का इस्तेमाल बहुत समझदारी से करते हैं,हम जानते हैं की जरा सी लापरवाही से हमे करंट लग सकता हैं उसी तरह हमें मोबाइल फ़ोन का उपयोग भी बहुत समझदारी से करना चाहिए। हम बच्चों को बिजली के उपकरणों का सही इस्तेमाल करना सिखाते हैं , हम उन्हें इसके अच्छे बुरे परिणाम बताते हैं, लेकिन फ़ोन के वक़्त हम क्यों भूल जाते हैं ,बच्चों को भी नही समझाते और खुद भी इतनी लापरवाही बरतते हैं। ये गलत हो रहा हैं, हम गलत कर रहे हैं फ़ोन के साथ भी और अपने जीवन के साथ भी। फ़ोन का उपयोग करे दुरूपयोग नही।
(कुल्लू हिमाचल प्रदेश से नीतू अरोणा का लेख)