नई दिल्ली (24नवंबर2015)-रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने विघटनकारी साइबर हमलों और तिकड़मों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सूचना, संचार, प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रोनिक्स और भारतीय सेना के साइबर ढांचे यानी आर्इसीटीईसी की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया । वह दो दिन तक चलने वाले डेफकॉम- 2015 के उदघाटन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होने कहा, हालांकि हम आर्इसीटीईसी का इस्तेमाल तथा सेना का और अधिक डिजिटलीकरण कर तरक्की कर रहे हैं, लेकिन खतरा दुश्मनों द्वारा व्यवधान डाले जाने का है। पारिकर ने कहा, ‘मेरी चिंता सूचनाओं को ब्लैक आउट कर दिए जाने को लेकर है जिसके परिणामस्वरूप विघटनकारी तंत्र खड़ा हो सकता है।’ रक्षामंत्री ने कहा, भविष्य की लड़ाइयां साइबर युद्ध के रूप में लड़ी जाएंगी, लेकिन वह दृढ़ता से यह मानते हैं कि पारंपरिक सेनाओं को नहीं बदला जा सकता और इन्हें अच्छी तरह से निर्धारित, सुसज्जित और सुनियोजित योजनाबद्ध तरीके से लड़ने के लिए सूचनाएं उपलब्ध करा कर तैयार किया जाना चाहिए। भारत को बुद्धिमत्ता का स्रोत बताते हुए उन्होंने कहा, हम सॉफ्टवेयर विकसित करने के क्षेत्र में आगे रहे हैं और अब हमें अपने क्षेत्रों को बेहतर हार्डवेयर डिजाइन देने और एकीकृत करने की जरूरत है।
डेफकॉम 2015 भारतीय सेना की सिग्नल कोर और सीआईआई द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।