महाराजगंज (10 अगस्त 2017)- उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद जनता को बेहतर कानून व्यवस्था और प्रशासन देने का वादा करने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की कोशिशों के अनुरूप से अफसरशाही शायद ढलने को तैयार नहीं थी। इसी का नतीजा है कि अब योगी आदित्यनाथ संत के बजाए एक सख्त सीएम के तौर पर सामने आए हैं। नतीजा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्य में लापरवाही बरतने वाले 11 अधिकारियों को गुरुवार को निलंबित कर दिया है। जबकि सात अन्य के तबादले के आदेश दिये हैं।
आदित्यनाथ योगी ने महाराजगंज जिले की समीक्षा बैठक के दौरान ये सख्तआदेश जारी किये हैं। जबकि योगी ने दो थानेदारों को निलंबित करने का निर्देश दिया और लापरवाही के मामले में नौतनवां के एसडीएम को मुख्यालय से संबद्ध करने के लिए कहा।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने चार महीने से गायब चल रहे चार डॉक्टरों के खिलाफ जांच के आदेश भी जारी किये। योगी ने ये तमाम आदेश उस समय दिये जब समीक्षा बैठक में वो जनसमस्याओं की सुनवाई के संबंध में अधिकारियों से स्पष्टीकरण ले रहे थे।योगी ने लंबे समय से गायब चल रहे चिकित्सकों के मामले में कहा कि यदि उनके खिलाफ शिकायतें सही पाई जाती हैं तो उनका चार माह का वेतन वापस लिया जायेगा। कार्यों में लापरवाही और अन्य शिकायतें मिलने के बाद पुरेंदरपुर और फरेंदा के थाना प्रभारियों को निलंबित करने का आदेश जारी किया।
योगी ने अधिकारियों को कई निर्देश दिये और जनता से जुड़े कामों में लापरवाही बरतने पर उन्हें अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी। इससे पहले योगी ने यहां भाजपा कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करते हुए आहवान किया कि केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा जन कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रहीं है, उसे आम जन तक ले जाना पार्टी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है। योगी ने कहा कि योजनाएं पात्रों तक पहुंचें, इसका शत-प्रतिशत अनुपालन कराया जाये। शहरी गरीबों को आवास का लाभ देना सरकार ने शुरू कर दिया है। गोरखपुर से इसकी शुरुआत हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्ना किसानों के बकाया 23 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करा दिया गया है।
योगी ने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा कि नकारात्मक सोच से दूर रहते हुए सकारात्मक चर्चा जनता के बीच करें। पंडित भाजपा दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों पर कार्य कर रही है।