गाजियाबाद (30 अगस्त 2017)- 31 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गाजियाबाद में होंगे। उनकी सभा स्थल से लगभग चार किलोमीटर दूर एक गांव की जनता का रास्ता और गांव की निकासी के रास्ते को सरकारी मशीनरी की मिलीभगत के कुछ दंबगों ने बंद कर दिया है। कई महीने पहले इसकी शिकायत सीएम से लेकर डीएम तक की गई। लेकिन कल अपोज़िशन न्यूज़ द्वारा खबर प्रकाशित करने के चंद घंटो बाद ही सीएम कार्यालय से दो मैसेज आये कि शिकायत का निस्तारण हो गया है। लेकिन न तो रास्ते और नाले के निर्माण के लिए घटनास्थल पर कोई अफसर आया न ही वहां कोई निर्माण हुआ। तो क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की नाक के ठीक नीचे भी झूठे और फर्जीवाड़े के माहिर अफसरों को जमावड़ा है। इस घटना के बाद सवाल उठता है कि क्या योगी आदित्यनाथ जैसे ईमानदार और कर्मठ मुख्यमंत्री तक को गाजियाबाद और लखनऊ के कुछ अफसर गुमराह कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुखिया आदित्यनाथ योगी जनता की भलाई की लाख कोशिश करें। लेकिन कुछ सरकारी अफसरों की वजह से उनके मिशन में पलीता लगना अब आम बात होती जा रही है। गोरखपुर के अस्पताल में बच्चों की मौत के सदमे से घिरे मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पहले ही दिन से लगातार इस कोशिश में हैं कि प्रदेश की जनता को बेहतर शासन दिया जा सके। लेकिन कुछ अफसरों और उनके आसपास के कुछ लोगों की लापरवाही सीएम योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजैक्टों के लिए रोड़ा बनती रही है। वैसे भी गोरखपुर में कई अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के अगले ही दिन बीआरडी अस्पताल में जो कुछ हुआ वो सारी दुनियां ने देखा है।
ठीक इसी तरह से गाजियाबाद के भी कई अफसर शायद मन बना चुके हैं कि 31 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्वागत झूठे दावों और कागजी फर्जीवाड़े से किया जाए। दरअसल कई माह पहले मुख्यमंत्री को सीधे तौर पर उनके जनसुनवाई पोर्टल पर, सीधे जिलाधाकारी को और गाजियाबाद के तहसील दिवस में ग्राम मिसलगढ़ी के रास्ते व पानी की निकासी हेतु बने नाले को कुछ सरकारी अफसरों की शह पर अवैध रूप से बंद किये जाने और करोड़ों की लागत के बावजूद कई साल से बंद पड़े सीवर को लेकर शिकायत की गई थी। इस मामले पर मुख्यमंत्री के जनसुनवाई सिस्टम से लेकर गाजियाबाद प्रशासन के कुछ अफसरों की लापरवाही से साबित होता है कि ये लोग सीएम योगी को भी गंभीरता से नहीं लेते हैं। इतना ही नहीं जब इस बारे में बात की गई तो अफसरों की बातों से अंदाजा लगा कि माया हो या अखिलेश या फिर योगी यहां तो काम अपनी ही चाल चलेगा, इन अफसरों पर सीएमों के आने जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
सबसे गंभीर बात यह है कि कल यानि 29 अगस्त का इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया तो चंद घंटो बाद ही सीएम के जनसुनवाई पोर्टल से लगातार दो मैसेज आए कि शिकायत का निस्तारण हो गया है। साथ ही जब जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की स्थिति को देखा गया तो झूठ का एक बड़ा पुलिंदा सामने था। पोर्टल पर अफसरों ने घर बैठे ही शिकायत का कागजो पर निस्तारण कर दिया। लेकिन सच्चाई यह है कि जिस रास्ते और नाले को अवैध रूप से बंद करने शिकायत की गई थी, वह ज्यों के त्यों आज भी बंद है और वहां पर नाले को तोड़ने के बाद इकठ्ठा हुआ मलबा आज भी वहीं मौजूद है।
तो क्या यह मान लिया जाए कि गोरखपुर की तरह गाजियाबाद में भी सरकारी मशीनरी अपनी लापरवाही और कागजों पर विकास के खेल से बाज नहीं आ रही है। साथ ही सवाल यह भी है कि क्या उत्तर प्रदेश की सरकारी मशीनरी यह मानने को तैयार नहीं है कि चुनाव के बाद अब निजाम बदल गया है और बहुत बड़े बहुमत के साथ प्रदेश के मुखिया अब योगी आदित्यनाथ हैं। जो जनता की भलाई के लिए अपने परिवार और भाई भतीजों तक को त्याग चुके हैं। इतना ही नहीं अगर इस प्रकरण की जांच हुई और गाजियाबाद के अफसरों का फर्जीवाड़ा साबित हो गया तो फिर इस पर कार्रवाई होना भी तय है।