गाजियाबाद (9 अक्तूबर 2015)- हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद नगर निगम के एक अधिशासी अभियंता मिडास नामक एक फर्म के खिलाफ पुलिस में एफआईआर की तैयारी में लगे हुए हैं। अधिशासी अभियंता का कहना है कि इस फर्म ने निगम के साथ धोखाधड़ी कर करोड़ो रुपये का चूना लगाया है ।
गौरतलब है कि बोधोत्सव समाज नामक एक संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि नगर निगम में तैनात अधिशासी अभियंता ए.के सिंह में पिछले 6 साल सात महीनों से तैनात हैं। जो सरकार की सर्विस नियमावली के विपरीत है। कोई भी अधिकारी 6 साल से ज्यादा एक पद पर नहीं रह सकता लिहाज़ा ट्रांसफर पॉलिसी के तहत उनका ट्रासफर होना चाहिए। ए.के सिंह ने भी हाईकोर्ट में एक काउंटर एफिडेविट लगाया जिसमें उन्होने कई ऐसे अधिकारियो के नाम बताए जो विभिन्न नगर निगमों में 12, 11, 14, और 15, सालो से टिके हुए हैं । ए.के सिंह ने बताया कि उन्होने उनके खिलाफ याचिका मिडास के निदेशको के इशारे पर डाली गई है । मिडास कंपनी के निदेशकों द्वारा विभिन्न टैन्डरों के माध्यम से हेराफेरी कर नगर निगम को करोड़ो का चूना लगा रहे थे। जिसका उन्होने विरोध किया इसलिए उन पर दबाव बनाने के लिए इस संगठन से याचिका डलवाई है ।ए के सिंह ने हाईकोर्ट को 23.3.2013 को मिडास के निदेशक आनंद शुक्ला द्वारा उनके कार्यालय में धमकी देने से भी अवगत कराया साथ ए के सिंह ने हाईकोर्ट को यह भी अवगत कराया कि मिडास कंपनी द्वारा जीटी रोड के डिवाइडर पर नए बस अड्डे से लेकर राकेश मार्ग के मध्य 10-40 के 6 यूनिपोल लगाए गये थे 2010-11 में निविदा आमंत्रित की गई थी वह चयन अनुमोदित स्थलों के साइज निर्धारित किये गए थे । इसके बाद 2013-14 में मिडास के अनुबंध बढ़ाते हुए 1500 स्थलों की सूची संलग्न की थी। निगम द्वारा 2010 -11 में जो निविदाएं प्रकाशित की गई उनमें प्रकाशित होने वाला क्षेत्रफल नौ लाख अट्ठारह हजार आठ सौ वर्ग फिट था। यानि निर्धारित क्षेत्रफल से सात लाख इक्यानवे हजार सात सौ सत्तर अधिक विज्ञापन प्रदर्षित किया गया जिससे निगम का कंपनी 266 लाख रुपये प्रतिमाह से निकलता है। उसी की वसूली के लिए वह निगम पर दबाव बना रहे थे । हाईकोर्ट ने उन्हे आदेश दिया है कि जो लोग अनावश्यक दबाव बना रहे हैं उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाए साथ पूरे प्रकरण उच्चस्तरीय जांच के लिए कहा है ।