मुंबई⁄भिवंडी(17अगस्त2015)- ज़बरदस्त मंदी की मार झेल रहे भिवंडी के पावर लूम उद्यमियों के सब्र का बांध पूरी तरह से टूट गया है। मंदी की वजह से कारोबार ठप है, और उद्यमियों ने रविवार से 15 दिन की हडताल शुरू कर दी है। जिसके बाद उद्यमियों ने अपने उद्योग बंद कर दिए। भिवंडी के कपड़ा उद्योग में छायी मन्दी की मार के चलते पावर लूम संघर्ष समिति ने भिवंडी बंद का एलान 14 अगस्त को किया था। रविवार से भिवंडी का लूम उधोग 90 प्रतिशत बंद हो गया है। गौरतलब है कि भिवंडी को एशिया का मैनचेस्टर कहा जाता है। लेकिन फिलहाल यहा के कारखानो में लगे ताले हैं और शहर में सन्नाटा पसरा है। मुंबई से दानिश आज़मी के मुताबिक़ मायानगरी मुम्बई से महज़ 50 किलो मीटर दूर कॉटन सिटी के नाम मशहूर भिंवड़ी के लोग अपने भविष्य को लेकर सकते में हैं।
दरअसल मुम्बई की कपडा मिलों के खात्मे के बाद एक नए औद्योगिक शहर भिवंडी का उदय हुआ था। इसी शहर ने बीड़ा उठाया था मुंबई कॉटन सिटी की शिनाख्त बरकरार रखने का। यह शहर धीरे धीरे एशिया का मैनचेस्टर बन गया था। लेकिन 1998 के बाद से कॉटन की चमक फीकी पड़ने लगी और मंदी की मार से बेहाल भिवंडी समेत महाराष्ट्र के दूसरे शहरों के पॉवर लूम उद्योग की कमर टूट गयी। जिसका नतीजा यह हुआ की पवार लूम कबाड के भाव बिकने लगे। वर्ष 2002 में कुछ हालात बेहतर हुए थे। लेकिन सरकार कोई मज़बूत टेक्सटाइल नीति लागू नहीं कर सकी। जिसके चलते ये उद्योग फिर अपनी आखरी सांस लेने लगा।
बेअसर सियासी क़यादत ने भी पहुंचाया नुक़सान
बनते बिगड़ते सियासी समीकरणों ने भी यहां के कारोबार को ठप कर दिया है। 1999 में भिवंडी विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर बुनकर समाज से जुड रशीद ताहिर मोमिन विधायक बने थे। उन्होंने सरकार से पॉवर लूम के लिए रियायती दर पर बिजली देने का आग्रह किया और महाराष्ट्र सरकार ने पॉवर लूम संजीवनी योजना नाम से योजना बनाई थी। एक रूपये 60 पैसे प्रति यूनिट बिजली की दर तय की गई। लेकिन महाराष्ट्र और केंद्र की सरकार ने कोई ठोस टेक्सटाइल नीति को अमली जामा नही पहनाया और 2004 में कांग्रेस ने रशीद ताहिर मोमिन का टिकट काट दिया और यह सीट शिवसेना के हाथ में चली गयी। नई सरकार रांकपा और कांग्रेस की बनी और पुरे 5 साल भिवंडी की अनदेखी की जाती रही। साल 2009 के लोक सभा के आम चुनाव में कांग्रेस का एम.पी तो भिवंडी से जीता लेकिन साल 2009 में ही नए परिसीमन के बाद भिवंडी विधानसभा के तीन टुकडे कर दिए गए और कांग्रेस और उसके घटक दल को एक सीट भी नसीब नही हुई। 2009 के चुनाव में भिवंडी पूर्व से अबू आसिम आज़मी चुनाव जीते तो वहीँ फिर एक बार रशीद ताहिर मोमिन भिवंडी पश्चिम से सपा की साइकल पर सवार होकर महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे। लेकिन अबू ऑसिम आज़मी भिवंडी और गोवंडी दोनों जगह से चुनाव जीत गए और अबू आज़मी ने भिवंडी पूर्व की सीट छोड़ दी और भिवंडी में 2010 के उपचुनाव में उनके बेटे फरहान आज़मी चुनाव लड़े मगर शिव सेना उम्मीदवार से चुनाव हार गए। वहीँ ग्रामीण से भाजपा के विष्णु सावरा चुनाव जीते भिवंडी की तीनो सीटों से सत्ता दलों की प्रतिनिधित्व शून्य हो गया। जिसका बुरा परिणाम शहर के विकास पर पड़ा। 2014 के आम चुनाव में में सीट बीजेपी की झोली में गयी और विधानसभा चुनाव में भिवंडी की तीनो सीट बीजेपी और उसके सहयोगी दल शिव सेना ने जीतीं और महाराष्ट्र और केंन्द्र दोनों जगह भाजपा की सरकार बनीं। सिर्फ सत्ता के चेहरे बदले मगर भिवंडी अब भी विकास से कोसों दूर है।
विकास के नाम पर सिर्फ मिला छलावा
मुम्बई से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर बसे भिवंडी के विकास का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की शहर की खस्ता हाल सड़कें ,कचरों के अम्बार भिवंडी की पहचान बन गयी है। रेलवे स्टेशन तो है मगर मुम्बई की डाइरेक्ट कनेक्टिविटी नहीं, बल्कि डग्गामार बसें सवारियों को लाने जाने वाले साधन हैं। अस्पताल तो हैं मगर डॉक्टर और दवा दोनो का आभाव । स्कूल कालेज के नाम पर छात्रों को मुम्बई और ठाणे के कालेजों का रुख करना पड़ता है।
मन्दी ने फिर किया बंदी पर मजबूर
लगभग एक साल से भयंकर मंदी की मार झेल रही पावरलूम इंडस्ट्री को एक बार फिर पटरी पर लाने के लिए 16 अगस्त से 15 दिन के लिए बंद करने की भिवंडी पावरलूम ने घोषणा संघर्ष समिति ने की है। पावरलूम संघर्ष समिति ने उक्त घोषणा परशुराम ठावरे स्टेडियम में आयोजित पावरलूम मालिकों की एक सभा में की। पावरलूम इंडस्ट्री में व्याप्त मंदी सहित पावरलूम मालिकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर परशुराम टावरे स्टेडियम स्थित शाह मोहम्मद हाल में भिवंडी पावरलूम संघर्ष समिति के संयोजक पूर्व सांसद सुरेश टावरे की अध्यक्षता में एक सभा का आयोजन किया गया था। जिसमें संघर्ष समिति के अध्यक्ष सांसद कपिल पाटील, विधायक रुपेश म्हात्रे, महेश चैगुले,पूर्व विधायक अब्दुल रशीद ताहिर मोमिन एवं मौ. अली खान सहित कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष शोएब खान, सपा के जिलाध्यक्ष नोमान खान, एनसीपी के खालिद शेख सहित सभी पार्टियों के पदाधिकारियों के अलावा , ग्रे चेकिंग एसोसिएशन पावरलूम से जुड़े हुए सभी एसोसिएशन और भारी संख्या में पावरलूम मालिक मौजूद थे। ग्रेक्लाथ एजेंट बबलू ठाकुर ने बताया कि लगभग दो घंटे की चली इस सभा में संघर्ष समिति ने 16 अगस्त से 15 दिन के लिए पूरी तरह से पावरलूम इंडस्ट्री को बंद करने की घोषणा की थी। नितेश राणे की स्वाभिमान संस्था, राजस्थान ग्रेचेकिंग एसोसिए ने बंद का समर्थन किया है। भिवंडी पावरलूम संघर्ष समिति ने मंदी,यार्न सट्टेबाजारी एवं टोरेंट पावर कंपनी मनमानी सहित विभिन्न समस्याओं को लेकर पावरलूम इंडस्ट्री को बंद करने की घोषणा तो कर दी थी। लेकिन कमीशन पर कपड़ा बनाने वाले और पावरलूम कारखानों में कमरतोड़ परिश्रम करने वाले मजदूरों के बारे कोई निर्णय नहीं लिया गया। जिसके कारण लोगों में भारी नाराजगी व्याप्त है। बता दें कि भिवंडी पावरलूम इंडस्ट्री में लगभग 80 पर्सेंट पावरलूम मालिक कमीशन पर कपड़ा बनाते हैं।