नई दिल्ली(12अगस्त2015)- प्रधानमंत्री नेरेंद्र मोदी से भोजपुरी, राजस्थानी और भोटी भाषा सांझा मंच के 15 सांसदों ने मुलाक़ात की है। सासंदो ने पीएम से मुलाकात कर तीनों भाषाओं को संविधान की आठवीं सूची में सम्मिलित करने का आग्रह किया।
भेंट के दौरान लोकसभा में सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक अर्जुनराम मेघवाल ने प्रधानमंत्री को बताया कि राजस्थानी, भोजपुरी और भोटी देश-विदेश में करीब 40 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। देश के एक चौथाई लोग इन भाषाओं से जुड़े हुए है और कई देशों में यह भाषा बोली जाती है। अतः करोड़ों वर्ष पुरानी एवं देश-विदेश के विशाल क्षेत्रा में बोली जाने वाली और अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त के आधार पर इन भाषाओं को मान्यता प्रदान करने में अब और अधिक विलम्ब नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होने बताया कि राजस्थानी, भोजपुरी एवं भोटी भाषाएं हजार वर्ष से भी प्राचीन है जिनमें ज्ञान का विपुल भंडार और प्रकाशित एवं अप्रकाशित साहित्य मौजूद है। इन भाषाओं में दर्शन, विज्ञान, कला, संगीत, आयुर्वेद, ज्योतिष, धर्म, संस्कृृति, लोक साहित्य कविता, व्याकरण आदि ग्रन्थ ज्ञान का विशाल स्रोत है। ये भाषाएं पाकिस्तान, अमेरिका, यू.के., यूरोप, मीडिल ईस्ट, नेपाल, मारीशस आदि देशों में भी बोली होती हैं।
प्रधानमंत्री से भेंट करने वाले सांसदों में राजस्थान के अर्जुन राम मेघवाल, सी.आर.चौधरी और पी.पी.चौधरी, उत्तर प्रदेश के जगदम्बिका पाल, पंकज चौधरी, विनोद कुमार सोनकर और लद्दाख (जम्मू कश्मीर) के सांसद तपछांग छेवांग के अलावा सांसद शरद त्रिपाठी, हरीश द्विवेदी आदि शामिल थे।
मेघवाल ने बताया कि राजस्थानी भाषा को नेपाल में मान्यता प्राप्त है। वहां के केबिनेट मंत्री हेमराज तातेड़ ने राजस्थानी में पद की शपथ ली है। इस प्रकार भोजपुरी भाषा मोरोशिस, गुयाना, फिजी,, सूरीनाम आदि 17 देशों में बहुतायत से प्रचलित है। इसके अलावा ‘भोटी भाषा’ भूटान की अधिकाधिक भाषा है एवं तिब्बत, नेपाल के अलावा पूरे हिमालय के तराई क्षेत्रों में प्रचलित है और इसकी ‘पाली -लिपि’ में जैन एवं बौद्ध ग्रन्थ भी सुरक्षित है।
भेंट में सांसद जगदम्बिकापाल ने बताया कि इन तीनों भाषाओं को विदेशों में मान्यता मिली हुई, लेकिन हमारे देश में अभी तक मान्यता नहीं मिलने से देश की करीब आधी आबादी द्वारा बोली जाने वाली भाषा से जुड़े लोग सरकार की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे है। लद्दाख के सांसद थपसन छवंग ने कहा कि भोटी पहाड़ी संस्कृति की संवाहक है, जिसका विपुल साहित्य भी है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भोजपुरी, राजस्थानी और भोटी ये तीनों देश की ऐसी भाषाएं है जिनको न केवल भारत में बोली जाती है बल्कि जिनको अन्य देशों में भी संवैधानिक मान्यता प्राप्त है।
nai aasha