ठाणे/भिवंडी (10 सितंबर 2015)- अमिताभ बच्चन की फ़िल्म “पा” कई साल पहले आयी तो अमिताभ के किरदार और उस फ़िल्म में जिस रोग से पीड़ित अमिताभ को दिखाया गया था वह दर्शकों के लिए उस समय महज़ काल्पनिक किरदार रहा होगा मगर अब ऐसा नही है। देश में प्रोगेरिया नामक बिमारी से ग्रसित पहला मरीज़ महाराष्ट्र के भिवंडी में पाया गया तब इस रोग पर बहस देश भर में शुरू हुई।
महाराष्ट्र के भिवंडी का रहने वाला निहाल श्रीनिवास बिटला अमेरिका के बोस्टन में प्रोगेरिया का इलाज चल रहा था । अभी हाल ही में ही वह अमरीका के बोस्टन से इलाज कराकर वापस आया है । 14 साल के निहाल बिटला को Hutchinson Gilford Progeria नामक भयानक बीमारी से पीड़ित था । लगभग छः साल पहले जब वह महज़ आठ वर्ष का था तब मालूम हुआ कि निहाल प्रोगेरिया जैसी भयानक बीमारी से पीड़ित है । उस समय निहाल इंडिया में प्रोगेरिया का पहली मरीज था. उसके बाद दूसरा मरीज सतारा में पाया गया था और तीसरा मरीज बिहार में . हालांकि बोस्टन स्थित प्रोगेरिया रिसर्च फाउंडेशन(PRF) के अनुसार इस भयानक रोग से पीड़ित भारत में 60 बच्चे हो सकते हैं । फाउंडेशन की कोशिश ऐसे सभी रोगियों तक पहुंचने की है ताकि ,उनका निदान करके बेहतर इलाज की व्यवस्था करे .6 वर्ष पूर्व निहाल बिटला भिवंडी के स्कॉलर इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रहा था । तभी उसके हाथ की त्वचा पर गोल-गोल धब्बे पड़ने लगे और शरीर की त्वचा धीरे सिकुड़ने लगी । उसके पिता श्रीनिवास बिटला द्वारा भिवंडी से लेकर मुंबई तक दर्जनों डॉक्टरों को दिखाने के बाद जब उनके समझ में नहीं आया तो उन्होंने जेनिटिक रिसर्च सेंटर परेल मुम्बई के डॉ.पराग ताम्हणकर को दिखाया . तो डॉ.पराग ताम्हणकर ने बताया कि वह प्रोगेरिया नामक बिमारी से पीड़ित है . जेनिटिक रिसर्च सेंटर परेल के डॉक्टर पराग ताम्हणकर ने ही निहाल बिटला को अमेरिका स्थित बोस्टन के लिए रिफर किया था । क्योंकि भारत में अभी भी ऐसे मरीजों के लिए कोई इलाज की सुविधा नहीं है . प्रोगेरिया से पीड़ित बहुत से बच्चे दिल की धड़कन बंद हो जाने से दम तोड़ देते हैं . ऐसे मरीजों की आयु सीमा केवल 14 वर्ष ही होती है . जिनकी शारीरिक वृद्धि रुक जाती है,चेहरे पर झुर्रियां आ जाती हैं और बाल गिर जाते हैं . जिसके कारण मरीज बूढ़ा दिखाई पड़ने लगता है और धीरे-धीरे मृत्यु को गले लगा लेते है . ऐसे मरीजों को जोड़ों में जकड़न आ जाती है और नसों में खून जमा हो जाता है । डॉक्टरों के अनुसार विभिन्न बंशानुगत परिस्थितियों के बावजूद उनके बीमारी के लक्षण एक जैसे पाए जाते हैं ।
पेशे से मोबाइल मकैनिक निहाल के पिता श्रीनिवास बिटला ने बताया कि बोस्टन जाने से पहले उसकी तबियत तेजी से बिगड़ रही थी . वह लगातार कमजोर होता जा रहा था । उसका दिल और उसके फेफड़े काम नहीं कर रहे थे . लेकिन बोस्टन में हुए इलाज के बाद काफी सुधार हुआ है और धीरे-धीरे सुधार हो रहा है . बोस्टन में हुए एक सप्ताह के इलाज के बाद दो साल की दवा देकर उसे वापस इंडिया भेज दिया गया है और दिसंबर 2016 में उसे चेकअप एवं दवाओं के लिए फिर बुलाया गया है।
बताया जाता है कि प्रोगेरिया नामक इस बीमारी के इलाज की व्यवस्था सिर्फ अमेरिका के बोस्टन में ही है । प्रोगेरिया रिसर्च फाउंडेशन इस बीमारी के इलाज के लिए भरपूर आर्थिक सहायता करती है । वहां के डॉक्टरों की एक टीम ने लोनाफारनिब नाम के एक ड्रग की खोज की है जो प्रोगेरिया से पीड़ित बच्चों की स्थिति में काफी सुधार कर सकता है।
पा की ख्वाहिश
तीन भाई बहनों में निहाल सबसे बड़ा है। इससे छोटी एक बहन और एक भाई है। दोनों पूरी तरह से स्वस्थ है। प्रोगेरिया से पीड़ित निहाल की पेंटिंग में काफी रूचि है। निहाल की बनाई गयी पेंटिंग PRF हेड कोआर्टर में भी लगी है । लेकिन उसकी पहली तमन्ना थी कि वह सुपर कार लेमोजिन ड्राइव करे। उसके जन्मदिन पर प्रभादेवी स्थित लेमोजिन शो रूम ने उसे कार ड्राइव कराकर उसकी पहली तमन्ना पूरी कर दी है। उसकी दूसरी तमन्ना है कि वह डिजनीलैंड घूमे और होंडा कंपनी का एसीमो रोबोट से मिले।
क्या कहते है डॉक्टर??
डॉ.पराग ने बताया कि प्रोगेरिया के मरीज जन्म के समय पूरी तरह से सामान्य होते हैं . जीवन के प्रथम वर्ष में ही उनके बाल गिरना शुरू हो जाते हैं . डीएनए टेस्ट द्वारा इनकी पुष्टि की जाती है . इस नए ड्रग के अलावा इसका कोई इलाज नहीं है . इस ड्रग के उपयोग से इन मरीज बच्चों की जान बचाई जा सकती है . और उनमें सुधार भी हो सकता है .
बोस्टन के प्रोगेरिया रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष ऑडरे गॉर्डन के अनुसार प्रोगेरिया से पीड़ित दुनिया के लगभग 300 से 350 बच्चे पीड़ित हैं . लेकिन अभी तक सिर्फ 125 बच्चों की ही जांच हो सकी है . जिसमें से एक तिहाई मरीज इंडिया में पाए जाने की आशंका है . जिसके लिए जांच करने की जरूरत है . ताकि उनके प्रयास का लाभ मरीजों को मिल सके।
प्रोगेरिया एक ऐसा रोग है जिसमें जन्म के एक वर्ष बाद ही बच्चे में लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं।चेहरे पर झुर्रियां छा जाती हैं,बाल तेजी से गिरने लगते हैं और बुढ़ापा दिखने लगता है । धमनियों में खून के थक्के जाते हैं। दिल और फेफड़े में कमजोरी आ जाती है । दिल काम करना बंद कर देता है और समय के पूर्व ही मृत्यु हो जाती है।