नई दिल्ली (27नवंबर2015)-राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को मलयाला मनोरमा के पूर्व संपादक और प्रकाशक स्वर्गीय के.एम. मैथ्यू की आत्मकथा ‘द एइट्थ रिंग’ के अंग्रेजी संस्करण की पहली प्रति प्राप्त की। मलयाला मनोरमा के प्रमुख संपादक श्री मेमन मैथ्यू ने पुस्तक जारी की। प्रख्यात न्यायविद और संसद के पूर्व सदस्य फाली एस. नरीमन और एनडीटीवी के चेयरमैन डॉ. प्रणय रॉय ने इस मौके पर अपने विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रपति ने कहा कि मीडिया ने हमेशा ऐसे लोगों की आजादी का समर्थन किया है, जो अपना मत व्यक्त करना चाहते हैं। उन्होंने बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से समझौता न करने के लिए मीडिया का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि भारत में मीडिया का इतिहास आजादी की लड़ाई के साथ गुंथा हुआ है। ईस्ट इंडिया कंपनी के दिनों में प्रकाशित हिकी गजट से लेकर अब तक मीडिया आम आदमी की समस्याओं को सामने लाता रहा है। हमारे कई राष्ट्रीय नेताओं ने समाचारपत्र शुरू किए या आजादी की लड़ाई के दिनों में इनसे नजदीकी तौर पर जुड़े रहे। जवाहरलाल नेहरू ने अक्टूबर, 1937 में खुद कलकत्ता के मॉर्डन रिव्यू में अपनी तानाशाही प्रवृतियों की आलोचना करते हुए छद्दम नाम से लेख लिखा था। लोग यह पढ़ कर हैरान थे कि आखिर नेहरू की आलोचना किसने की। यह बात लोगों में काफी बाद में पता चली कि उन्होंने आलोचना को बढ़ावा देने के लिए खुद यह लेख लिखा था।