फरमान अली
नई दिल्ली(10अगस्त2015)- बिहार में विधानसभा चुनाव सर पर है। भाजपा,कांगे्रस,जनता दल यू व आरजेडी समेत तमाम राजनीतिक दल चुनावी दंगल में कूदने की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं लेकिन इस बार बिहार की सिसायत अभी से कर्कश होती जा रही है। विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष पर बैठे नेता अब व्यवस्था पर नहीं बल्कि एक दूसरे पर व्यक्तिगत हमला बोल रहे हैं। जिससे बिहार की जनता स्तब्ध है। विधानसभा चुनाव के मददेनजर बिहार में सियासी हलचल चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक दो रैलियां कर चुके है। दोनों ही बार उन्होंने वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को न केवल कटघरे में खडा किया है बल्कि उन पर तंज भी किए हैं। रविवार को हुई रैली में उन्होंने नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला और यहां कह दिया कि दिल्ली से विकास की गंगा बह रही है लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री इस गंगा में उलटा लौटा लिए हुए है जिसमें पानी ही नहीं आएगा। इस स्थिति में विकास कैसे होगा। इतना ही नहीं मोदी ने यहां तक कह डाला कि बिहार में दो दलों का मिलन उस दोहे के सामान है जिसमें कहा गया है “चंदन विष व्याप्त नहीं लिप्टे रहत भुजंग”। मोदी ने कहा कि पता ही नहीं चल पा रहा है कि बिहार में कौन भुजंग प्रसाद है और कौन चंदन कुमार है। मोदी ने यह भी कहा कि यदि राजद-जद यू गठबंधन की सरकार आती है तो जंगल राज पार्ट-2 कायम हो जाएगा। मोदी का सीधे-सीधे इशारा नितीश कुमार व लालू प्रसाद पर है। मोदी के इस हमले का जवाब नितीश व लालू ने भी बाखूबी दिया है। नीतिश ने कहा कि बिहार में पंरपरा के अनुरूप छठ पर्व मनाया जाता है जिसमें नदी में लोटा उल्टा कर अर्ध्य दिया जाता है। यदि वे ऐसा कर रहे हैं तो यह अर्ध्य दे रहे हैं जबकि लालू ने तो नरेंद्र मोदी को मानसिक रूप से बीमार ही बता दिया है। लालू ने कहा है कि जैसे-जैसे बिहार का चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे मोदी का मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। उन्होंने मोदी पर प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराने का आरोप भी लगाया है। विधानसभा चुनाव आते-आते यह हमले और तेज होंगे लेकिन चिंता की बात यह है कि इस बार हमले व्यवस्था पर न होकर व्यक्तिगत हो रहे हैं। जिससे अच्छा नहीं माना जा सकता है। जनता का कहना है कि इन नेताओं को अपनी अपनी गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। मोदी जहां देश के प्रधानमंत्री हैं वहीं नीतिश वर्तमान में बिहार राज्य के मुख्यमंत्री है जबकि लालू प्रसाद यादव लंबे समय तक बिहार की बागडोर संभाल चुके हैं।
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कितना उचित है व्यक्तिगत हमला
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व्यक्तिगत हमले के बजाय बिहार के विकास का मॉडल पेश करना चाहिए बिहार के लोगों को विकास के बेहद जरूरत है। यह बात मोदी या नीतिश या फिर लालू या अन्य नेता सभी को भलीभांति समझनी चाहिए। इन नेताओं को बिहार की जनता को राजनीतिक दाव पेंच या जातिवाद में फंसाने के बजाय बिहार के विकास का मॉडल पेश करना चाहिए। ताकि जनता समझ सके कि कौन नेता बिहार को बेहतर ढंग से विकास की ओर ले जा सकता है। व्यक्तिगत हमलों से सभी नेताओं को बचना चाहिए वरना बिहार की जनता बहुत समझदार है, चुनाव में सबक सिखाएगी।
राधारमनः संपादक हरि भूमि व वरिष्ठ पत्रकार
चुनाव को गलत ट्रैक पर ले जाया जा रहा है मेरा मानना है कि अभी बिहार में चुनावी माहौल बनना ही शुरू हुआ है। ऐसे में नेता विकास व तरककी की बात करने के बजाय जातिवाद, धर्मवाद की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। जो गलत है। यह न तो जनता के हित में है और न ही बिहार के हित में। जनता को इस बार समझारी के काम लेना होगा तकि एक अच्छा बिहार विकसित हो सके।
कविलाश मिश्रा वरिष्ठ पत्रकार
(लेखक फरमान अली दैनिक जागरण में वरिष्ठ संवाददाता रह चुके हैं और कई समाचार पत्रों में कार्य कर चुके हैं।)
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