ज़हनी तौर पर ग़ुलामी से पीड़ित लोगों से बेहद माफी के साथ एक सवाल… पिछले कई साल से अपने कथित नेताओं को ढोते-ढोते अगर आपके कंधों में दम बचा हो तो, क्या अब अपने चहेते और हमदर्द नेता जी के बेटे, बेटियों, बहुओं और पोता पोतियों को राजनीतिक तौर पर ढोने,पोस्टर लगाने, उनके लिए दरियां बिछाने और नारे लगाने के लिए तैयार है। क्योंकि नेता जी के बच्चे बड़े हो गये और बेचारे वो राजनीति के रास्ते देश सेवा करने के अलावा और कर ही क्या सकते हैं।
(लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं डीडी आंखों देखीं, सहारा समय, इंडिया टीवी, इंडिया न्यूज़ समेत कई नेश्नल चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य चुके हैं।)
(नोट- कृपया इस सवाल का नेहरु जी, इंदिरा गांधी जी, राजीव,सोनिया, राहुल, प्रियंका, मुलायम सिंह जी, शिवपाल यादव, रामगोपाल, धर्मेंद्र यादव, अखिलेश, डिंपल,संजय गांधी, मेनका, वरुण, चौ. चरण सिंह जी, अजित सिंह, जयंत, चौ.देवी लाल जी, ओ.पी चौटाला, अभय, अजय, दुष्यंत,दिग्विजय चौटाला, शरद पवार, अजित पवार. सुप्रिया सुले, राजनाथ सिंह, नीरज, पंकज, प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर, सलाहुद्दीन ओवेसी, असदउद्दीन उवेसी, अकबरुद्दीन उवेसी, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेज प्रताप, मीसा यादव, तेजस्वी यादव या किसी भी अन्य प्रतिभावान नेता या आपके शहर, गली मौहल्ले के किसी भी तेज़ तर्रार नेता से कोई लेना देना नहीं है। ये बेचारे तो जनता के सच्चे सेवक हैं, इनका सम्मान ज़रूरी है, क्योंकि इनकी तो कई कई पीढ़ियां देश के लिए समर्पित हैं। वैसे भी देश की राजनीतिक नर्सरी के कई बेचारे ऐसे भी नेता हैं जिनके बच्चे अभी छोटे हैं, लेकिन उनके बड़े होने में भला कौन सा ज्यादा टाइम लगेगा। वैसे अगर आपके शहर या इलाके में भी कोई सांसद और विधायक या नेता जी भी अपने बेटों और परिजनों को आपके कंधों पर राजनीतिक सवारी कराने का मन बना चुके हैं, तो कृपया उनका नाम और पूरी डिटेल हमको भेजें हम उनकी भी राजनीतिक समर्पण की भावना को महिमा मंडित करेंगे। कपया जानकारी नीचे पोस्ट करें।)