बिहार(23जुलाई2015)- बिहार चुनाव जैसे जैसे नज़दीक आ रहे हैं वहां का सियासी पारा चढ़चा जा रहा है। इस बार चुनाव में वोटरों को रिझाने के लिए तोहफों और रिश्वत देने का आरोप सामने आया है। जेडीयू ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह साड़ियां और गमछे बांटकर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को रिश्वत देने की कोशिश कर रही है। जनता दल यूनीइटेड का कहना है कि पार्टी कांग्रेस और जनता परिवार के दूसरे घटकों के साथ मिलकर चुनाव आयोग के सामने यह मामला उठाएगी।
जनता यूनाईटेड के महासचिव और राज्यसभा सासंद केसी त्यागी ने एक बयान करते हुए बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 25 जुलाई की मुजफ्फरपुर रैली पर 15-18 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। केसी त्यागी ने बिहार में इसे सबसे महंगा चुनाव करार देते हुए कहा कि गुजरात से 100 से अधिक व्यापारियों को मतदाताओं के वास्ते 20 लाख से अधिक साड़ियां, गमछे और गोल टोपियां इकट्ठा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के सह संयोजक गुजरात के सांसद सी.आर पाटिल ने करीब 100 गुजराती व्यापारियों को 20 लाख से ज़्यादा साड़ियां इकठ्ठा करने की जिम्मेदारी सौंपी है।’
त्यागी ने कहा कि यह सब कुछ चुनाव से पहले राजनीतिक रिश्वत के अलावा कुछ नहीं है। उन्होने कहा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पता है कि यदि वे बिहार चुनाव हार गए तो यह उनके लिए अपमानजनक होगा, इसलिए वे हर तरीके से चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि जेडीयू, कांग्रेस, आरजेडी और जनता परिवार के दलों ने चुनाव आयोग से इस मामले पर वक्त मांगा है और हम चुनावी निरीक्षक के सामने इस मामले को रखेंगे। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने हीरा और सोना व्यापारियों को सीमाशुल्क और उत्पाद शुल्क से छूट दी है और सवाल किया कि क्या यह ‘अदायगी’ का वक्त है। जेडीयू नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री पांच परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, जिनमें से एक भी उन्होंने शुरू नहीं की है। उन्होंने कहा कि हम तब यूपीए सरकार से और अब एनडीए से बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं। उनमें से एक भी परियोजना मोदी सरकार ने शुरू नहीं की है। वे या तो यूपीए सरकार की हैं या नीतीश कुमार जब केंद्र में मंत्री थे तब उन्होंने शुरू की थीं।
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