नई दिल्ली (06 जुलाई 2015)- मौत का पर्याय बनता रहा मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले की रिपोर्टिंग के दौरान मौत की नींद सोने वाले पत्रकार अक्षय की मौत के रहस्य से परदा उठना चाहिए। ये कहना है एनडीटीवी के कॉर्डिनेटर, सीनियर पत्रकार, सोशियल वर्कर और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सदस्य अतरहुद्दीन उर्फ मुन्ने भारती का। उनका कहना है कि पत्रकारों पर हमले में सीधी सरकारें शामिल है। शायद मध्य प्रदेश सरकार में चल रही सियासी उठापटक का नतीजा है पत्रकार की मौत।
मुन्ने भारती ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी की ख़ामोशी मुनासिब नहीं है। आखिर देश की सियासी पार्टियों की ख़ामोशी भी अपने आप में सवालियां निशान है। मुन्ने भारती ने शहीद पत्रकारों को खिराजे अक़ीदत पेश है। उनका कहना है कि मेरी सभी पत्रकार संगठनो और संस्थाओं से अपील है की पत्रकाओं की सुरक्षा के लिए सीधी प्रधानमंत्री जी से दो टूक बात करें। और अगर सरकारें न मने तो आगे की रणनीति तैयार करें। जिसमे सरकारों को जनता के सामने सरकारों की पोल खोल अभियान पूरी तरह शामिल हो और जिसमे सरकारों की प्रेस कॉन्फ्रेंस का बायकाट भी शामिल हो। मुन्ने भारती ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हम अब आवाज़ नहीं बुलंद करेंगे तो अगली बारी हमारी है, आप जहां है वही अपने पत्रकार भाइयों के हक़ में आवाज़ बुलंद कीजिये। सरकारों पर दबाव बनायें। अब बस बहुत हुआ। अपने अपने इलाक़े से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ज़रूर लिखे।
(एम अतहरउद्दीन मुन्ने भारती से उनके मेल [email protected] द्वारा संपर्क किया जा सकता है।)