पटना (26 जुलाई 2017)- बिहार में महागठबंधन बनाम महाठगबंधन की चर्चाओं का अंत हो गया है। लालू के पुत्र मोह के चलते बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने तेजस्वी को बर्खास्त करने के बजाए खुद इस्तीफा देकर लालू को जबरदस्त सियासी पटखनी दे डाली है। कभी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाकर पत्नी प्रेम की सुर्खिया बटोर चुके लालू इस बार पुत्र मोह का शिकार नज़र आ रहे हैं। दरअस्ल बुधवार को जदयू विधानमंडल दल की बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। कयास हैं कि वे भाजपा के साथ नई सरकार बनाने जा रहे हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति से समझौता नहीं करेंगे। नतीजा ये हुआ कि जब राजद विधानमंडल दल की बैठक के बाद अंतिम रूप से जब यह तय हो गया कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे तो उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया। लगे हाथ इस्तीफा के बाद नीतीश कुमार को भाजपा ने अपना समर्थन दे दिया है। नीतीश कुमार के आवास पर भाजपा व जदयू विधानमंडल दल की बैठक में नीतीश को नेता चुना जा चुका है और वे नई सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश करेंगे। भाजपा के मुताबिक नई सरकार में पार्टी भी शामिल रहेगी।
इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि उनसे जितना हो सका , गठबंधन धर्म का पालन करते हुए जनता से किए वायदों को पूरा करने की कोशिश की। उन्होने कहा कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से कभी इस्तीफा नहीं मांगा। ये अलग बात है कि इस मुद्दे पर तेजस्वी से बात हुई। लालू प्रसाद यादव से भी बातचीत होती रही। नीतीश ने कहा कि उन्होंने तेजस्वी से आरोपों की बाबत स्पष्टीकरण देने को कहा।
नीतीश ने कहा कि परिस्थितियां ऐसी बनीं, जिसमें काम करना संभव नहीं रहा था। उन्होंने कहा कि इस्तीफे का फैसला उनकी अंतरात्मा की आवाज है। चर्चा हो रही थी कि नीतीश इस्तीफा नहीं देंगे, तेजस्वी को बर्खास्त करेंगे। लेकिन, यह मेरे काम करने का तरीका नहीं है।
दरअसल सीबीआइ की एफआइआर में नामजद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर भाजपा ने विधानमंडल के मॉनसून सत्र को बाधित करने का अल्टीमेटम दिया था। जदयू ने भी कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात कही। उधर, राजद ने साफ कर दिया था कि तेजस्वी किसी भी स्थिति में इस्तीफा नहीं देने जा रहे हैं। ऐसे में नितीश के पास खुद इस्तीफा देने या तेजस्वी को बर्खास्त करने का विकल्प था और उन्होने खुद के इस्तीफे से लालू का सियासी चौराहे पर ला खड़ा किया है।