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नेपाल भूकंप पीड़ितों की राहत सामग्री आज भी पड़ी है सरकारी गोदाम में

नेपाल राहत सामग्री
मुज़फ़्फ़रनगर(5 सिंतंबर 2015)- इस साल नेपाल में आए भूकंप पीड़ितों के लिए इकठ्ठा की गई लाखों की सामग्री आज भी मुजफ्फरनगर के सरकारी भवनों में किसी सरकारी अफसर के आदेश के इंतज़ार में पड़ी हुई है। नेपाल में आए भूकंप ने भले ही देश भर की जनता को पीड़तों की मदद के लिए राहत सामग्री दान करने के लिए बेचैन कर दिया हो। मगर शायद मुजफ्फरनगर की सरकारी मशीनरी के लिए ये राहत सामग्री गोदामों में जमा की जाने वाली वस्तु से अधिक कुछ भी नहीं है। जिसका सबूत है मुजफ्फरनगर की सदर तहसील का निर्नाचन कक्ष कमरा नं-4 जहां लाखों रुपए की सामग्री भूकंप के कई माह बाद भी नेपाल भेजे जाने के लिए किसी सरकारी आदेश के इंतज़ार में रखी हुई है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस सामग्री की रखवाली के नाम पर भी लापरवाही की जा रही है।

शनिवार लगभग 4 बजे रिकार्ड की गई एक वीडियो हमको मुजफ्फरनगर से भेजी गई है। जिसको लेकर हमने कई बार मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी से फोन पर बात करनी चाही तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। साथ ही इस बारे में उनको मैसेज भी भेजे गये। लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं दिया गया। हम आपको वीडियो वगैर एडिट किये हुए ज्यों का त्यों दिखा रहे हैं। आप सदर तहसली के कमरा नं-4 में रखे हुए राहत सामग्री के डिब्बों के ऊपर दान दाताओं और राहत सामग्री देने वाली संस्थाओं के नाम साफ देख सकते हैं।
इस साल आए भयानक तूफान ने भले ही नेपाल में तबाही मची हो लेकिन उसका दर्द भारत के हर शहर में भी महसूस किया गया था। जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शहर मुजफ्फरनगर की जनता ने तो नेपाल के भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए बेहद बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। मई 2015 में मुजफ्फरनगर में जगह जगह लोगों औक सामाजिक संस्थाओं ने कैंप लगाकर नेपाल के भूकंप पीड़ितों के लिए दान दाताओं द्वारा दी गई सामग्री इकठ्ठी की गई थी। जिसे जिला प्रशासन की मदद से नेपाल भेजा जाना था। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने कई ट्रक नेपाल के लिए रवाना तो किये मगर उसमें से लाखों रुपए की राहत सामग्री आज भी तहसील सदर के कमरों में रखी हुई है। लोगों का आरोप है कि यदि इस मामले की जांच की जाए तो कई बड़े अफसरों की लापरवाही के अलावा बड़ा घोटाला उजागर हो जाएगा। लेकिन नाम न बताने की शर्त पर तहसील के ही कुछ कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन इस मामले को उजागर होने या दोषियों को सजा दिलाने के बजाए आनन लीपापोती में ही जुटा हुआ है। क्योंकि इसमें कई बड़े अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है। बहरहाल हमे भेजी गई वीडियो को हम ज्यों ता त्यों आपको भी दिखा रहे हैं।
बहरहाल नेपाल के भूकंप पीडितों के लिए इकठ्ठा की गई सामग्री अगर आज भी पीड़ितों तक पहुंचने के बजाए सरकारी गोदाम में पड़ी है तो सरकारी लापरवाही का इससे बड़ा क्या नमूना हो सकता है।

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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