अपने सबसे बड़े वोटर, सबसे बड़े समर्थक को नज़रअंदाज़ करके भाईयों, भतीजों, बेटों, बहुओं और परिजनों में सत्ता की रेवड़ियां बाटने वाला जब बेटे को सत्ता हस्तातंरण को लेकर सगे भाई तक से सियासत कर सकता है और जो भतीजा पिता तुल्य चाचा को आंख दिखा दे ! यानि कुर्सी और सत्ता के लिए जहां भाई भाई का न हुआ बेटा बाप का न हुआ, भतीजा चाचा का न हुआ, वहां कौन किसी का होगा ? ऐसे में भला जनता कौन सी उम्मीदें पाले बैठी है ?
(नोट-ये लाइने पूरी तरह काल्पनिक व वर्तमान हालात की वजह से लेखक के सिरदर्द से उत्पन्न हुई झुंझलाहट का नतीजा हैं, इन लाइनों का समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े वोट बैंक, मुलायम सिंह, अखिलेश या किसी भी सियासी दल, नेता या व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है।)
(लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं, डीडी आंखों देखीं, सहारा समय, इडिया टीवी, इंडिया न्यूज़ समेत कई नेश्नल चैनल्स में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुकें हैं।)