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ज़मीनी आक़ाओं को ख़ुश करने की चाहत!

rupee-नई दिल्ली (21 अक्तूबर 2017)- न तो क़ुरान-हदीस, शरीअत, देवबंद और बरेली जैसे मज़हबी इदारों की अहमियत ही कम की जा सकती है… न ही किसी मज़हबी मुक़ाम के फतवे को गलत ठहराया जा सकता है। आपको दीन-ईमान पर चलना है या कोई भी रास्ता इख़्तियार करना है ये आपकी मर्ज़ी है..! लेकिन आपकी सोच और आपके ज़मीनी आक़ाओं को ख़ुश करने के लिए शरीअत को बदलने की कोशिश की जाए…!! ऐसा क्यों सोचते हो…??? जनाब..!

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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