ग़ाज़ियाबाद (30 जून 2017)- दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना चीन से की जाती है। बताया जाता है कि जल्दी ही भारत आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा, चीन को पछाड़ देगा पर पिछले दिनों का अध्ययन करें तो अंतर साफ स्पष्ट हो जाएगा, भारत में पिछले 3 वर्षों में जहां धर्म जाति व खानपान को लेकर विरोध की लहर चल रही है, वहीँ पूरी दुनिया में अपना व्यापार जाल मजबूत करने के लिए अपनी महत्वकांशी परियोजना वन बेल्ट वन रोड ओ.वी.आर पर तेजी से काम कर रहा है। पिछले दिनों ही बीजिंग ने 29 देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को बीजिंग बुलाकर इस पर सहमत कर लिया, चीन की यह योजना दुनिया के 50 से भी ज्यादा देशों को सड़क व रेल मार्गो द्वारा चीन से जोड़ने के लिए चीन ने नीदरलैंड से लेकर तिब्बत तक, तुर्की, कजाकिस्तान, रूस, पाकिस्तान होते हुए एक विशाल कॉरीडोर बनाने का सपना देखा है, और उसे पूरा करने की दिशा में अपने कदम भी उठा दिए हैं।
गतवर्ष उसने कजाकिस्तान से चीन सिल्क रोड को चालू कर दिया था। उसी के बाद यह महत्वकांशी प्रोजेक्ट जिसमें दुनिया के विकासशील देशों में सड़क, रेलवे, बंदरगाह व हवाई अड्डे विकसित करने की योजना बनाई है। जिसमें लगने वाली सारी पूंजी चीन बैंकों द्वारा वहन की जाएगी तथा इन सभी को बनाने का काम भी चीनी कंपनियां करेंगी, इस तरह से चीन ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं, एक तरफ वह चीनी अर्थव्यवस्था को तेजी प्रदान करेंगे, दूसरी तरफ यूरोप व अफ्रीका के बाजारों में अपना माल पहुंचाने का रास्ता भी तैयार कर लेगा।
इससे चीन द्वारा अमेरिका का समुद्री मार्ग पर कब्जा टूट जाएगा क्योंकि दुनिया के 90 परसेंट समुद्री मार्ग पर अमेरिका का वर्चस्व है, चीन की इस परियोजना में गरीब व विकासशील देश इसलिए प्रसन्न है कि उनके देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए चीनी पूंजी मिलेगी। इस देश की एक परियोजना चीन सी.पी.ई.सी के रूप में ग्वादर बंदरगाह से गिलगिट पी.ओ.के होते हुए अपने यहां जोड़ चुका है, हालांकि इतनी बड़ी परियोजना के सफल होने में संशय है, पर चीन हमेशा से बड़े काम करने के लिए जाना जाता है भारत के संदर्भ में यह बात सोचने वाली है कि हम कैसे चीन का मुकाबला करेंगे नोटबंदी के बाद जूझ रही अर्थव्यवस्था वह गौ रक्षा के नाम पर मारे जा रहे लोगों की तरफ हमारा ध्यान है या विकास की तरफ।
(लेखक सिकंदर यादव समाजसेवी एवं बसपा नेता हैं।)