दोस्तों…रफी साहब को कौन नहीं जानता…उनकी आवाज़ ही उनकी पहचान है…1997 में रफी साहब पर एक लेख लिखा था….पत्रकार तो आज भी मैं ख़ुद को कहते हुए डरता हूं….लेतिन उस समय में तो मैं इस सेवा में आया भी नहीं था…स्थानीय समाचार पत्रों ने मेरे लेख को काफी सराहा और अपने सम्मानित पत्रों में जगह दी…उसकी कॉपी आज भी मेरे पास है….31 जुलाई रफी साहब के यौम ए विसाल पर आपसे शेयर कर रहा हूं…।
और हां एक बात और …ये मेेर जीवन का पहला आर्टिकल था जो अख़बारों में प्रकाशित हुआ था….इसमें कमियां तो काफी रही थीं…आपसे गुज़ारिश है कि आज इन कमियों को नज़रअंदाज़ करें।