लखनऊ(17अगस्त2015)- सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारियां न देने और अधिनियम की अवहेलना को लेकर उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त हाफिज़ उस्मान बेहद गंभीर होते जा रहे हैं।ऐसे मामलों में आयुक्त नियमानुसार जुर्माना लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं। इसी तरह के एक मामले, जिसमें अपर जिला अधिकारी, वित्त एवं राजस्व, मुजफ्फरनगर आयोग के सामने पेश नहीं हुए, और न ही वादी को सूचना उपलब्ध करायी थी। जिसके लिए आयुक्त हाफिज़ उस्मान ने उन्हें दोषी मानते हुए 25000/- रू. का दण्ड लगाया है।
उ. प्र सूचना आयुक्त कार्यालय से जारी एक बयान के मुताबिक़ एक मामले में तहसीलदार, तहसील बुढ़ाना, मुजफ्फरनगर आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए, और न ही वादी को सूचना उपलब्ध करायी है। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 के तहत जिन अधिकारियों को शोकॉज नोटिस जारी किया था, कि वादी को 30 दिन के अन्दर अनिवार्य तौर पर सूचना उपलब्ध करायें, 30 दिन के अन्दर सूचना देना नियम के तहत अनिवार्य है। गौरतलब है कि अधिनियम की धारा 19 (7) के तहत आयोग का आदेश बाध्यकारी भी है। इसलिए जिन अधिकारियों ने आयोग के आदेश की अवहेलना की है, न तो उन्होनें सूचना दी है और न ही आयोग में उपस्थित हुए, उन्हें आयुक्त ने दोषी मानते हुए 25000/-रू. 25000/-रू. का दण्ड लगाया गया है। जिनमें वरिष्ठ कोषाधिकारी मुजफ्फरनगर, बन्दोबस्त अधिकारी, चकबन्दी, मुजफ्फरनगर, जिला विद्यालय निरीक्षक, अमरोहा, चकबन्दी अधिकारी, जानसठ, मुजफ्फरनगर, प्रधानाचार्य एम.आर. आई.टी.आई., कांघला, मुजफ्फरनगर, खण्ड विकास अधिकारी, विकास खण्ड बाघरा, मुजफ्फरनगर, जे.के. अकादमी, तहसील बुढ़ाना, मुजफ्फरनगर, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत सलेमपुर गोसाई, गजरौला,अमरोहा, तहसीलदार, सदर, मुजफ्फरनगर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, हापुड, तहसीलदार, तहसील जानसठ, मुजफ्फरनगर, अधीक्षण अभियन्ता, प्रथम मण्डल सिंचाई कार्य, मेरठ, और तहसीलदार, तहसील बुढ़ाना, मुजफ्फरनगर शामिल हैं।