नई दिल्ली(21अगस्त2015)- अगर भारत के आम मुसलमान की बात करें तो निजी तौर पर वह कथित मुस्लिम नेताओं,अपने रहनुमाओं, सियासतदानों, राजनीतिज्ञों, दानिश्वरों, बुद्दीजीवियों, चाहे वो कांग्रेस. समाजवादी पार्टी, बीजेपी या किसी भी पार्टी में हों ..! चाहे वो ख़ुद को क़ौम का क़ायद ए आज़म साबित करने मे जुटे हों, सबकी बेहद इज़्ज़त करता है। आम मुसलमान कभी भी इनको बेशर्म, एहसानफरामोश, दल्ला, यहां तक कि बुरा तक कहने की सोच भी नहीं सकता। लेकिन कभी कभी एक जागरुक मुसलमान के मन में ख़्याल आता है कि मुस्लिम समाज शिक्षा, रोज़गार,आर्थिक क्षेत्र समेत कई मामलों मे पिछड़ा तो है ही… साथ ही मेरठ दंगा हो या मलियाना या फिर गुजरात समेत कई और जगहों पर होने वाले दंगे। इन्होने कभी सिख दंगो में दोषियों के खिलाफ कानून कार्रवाई हो या फिर उनको मिलने वाले मुआवज़े से भी सीख नहीं ली! अब गुजरात दंगों के दौरान आवाज़ उठाने वाले चाहे संजीव भट्ट हों या फिर तीस्ता सीतलवाड़… सुना है कि इनको कथिततौर पर सिर्फ इसलिए प्रताणित किया जा रहा है कि इन्होने मुस्लिम समाज की मदद की कोशिश की है। तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सरकारी मशीनरी द्वारा कथिततौर पर सख्ती की चर्चाओं के बीच गुजरात दंगों पर नरेंद्र मोदी को घेरने वाले आईपीएस संजीव भट्ट को भी बर्खास्त कर दिया गया है। सुना है कि मुस्लिम नेता, दानिश्वर, सियासत दां इस सब पर बहुत ग़ौर से सोच रहे हैं। ख़ामोशी की हद तक…! ऐसे में आप ही बताइए कि एक आम मुसलमान इन लोगों को क्या नाम दे? प्लीज आप ही इनका कोई नाम सुझाएं! भाषा पर संयम प्रार्थनीय है।
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