नई दिल्ली(27जुलाई2015)- यूं तो 27 जुलाई 2015 हर आम दिन की तरह का ही एक दिन और तारीख थी। लेकिन शाम होते होते यही दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। एक ऐसा इतिहास जिसने एक नाविक का बेटा जो अख़बार बेचता था, को देश के सबसे बड़े पद राष्ट्रपति और दुनियां के लिए मिसाइल मेन तक के खिताब का सफर तय करते देखा हो।
जी हां हम बात कर रहे हैं 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में पैदा होने वाले अबुलपाकिर जैनुलआबदीन अब्दुल कलाम की जिन्होने आज ही के दिन यानि 27 जुलाई 2015 को शिलांग में अपनी ज़िंदगी की आख़िरी सांस ली।
भारत जैसे गौरवशाली देश के राष्ट्रपति रह चुके एपीजे अब्दुल कलाम जिनका लालन पोषण परिवार में उनके परिजनों खासतौर पर पिता जैनुलाबदीन ने सर्वधर्म सम्भाव के माहौल में किया था। सात बहन भाइयों मे से एक कलाम के पिता एक नाविक थे। कलाम के और उनकी ज़िंदगी के बारे में यूं तो बहुत कुछ है कहने सुनने और लिखने को है। लेकिन कई बाते तो भुलाने के काबिल है ही नहीं। उनकी माता आसिम्मा उनका बेहद ध्यान रखती थी। सुबह चार बजे अपने दिन की शुरुआत करने वाला बालक कलाम रात 11 बजे तक ही सो पाता था। पढ़ाई में बेहद होशियार इस बच्चे के लिए मां मिट्टी का तेल इसलिए बचाती थीं ताकि कलाम रात के अंधेरे में पढ़ाई भी कर सकें। उनके जानने वाले बताते हैं कि बचपन में कलाम अरब सागर को टकटकी बांधते हुए सपने बुना करते थे। और कमाल तो ये हुआ कि उसी बंगाल की खाड़ी में लगभग दो दशक तक इस बच्चे ने मिसाइल मेन का खिताब मिलने के लिए तमाम मिसाइलों का परीक्षण किया। कलाम ने कम दूरी, मध्यम दूरी और लंबी दूरी की मिसाइलों के निर्माण में महारत हासिल की थीं। इतना ही नहीं इनमें परमाणु मिसाइल का परीक्षण भी शामिल रहा था।
आसमान की बुंलदी को छूने का सपना देखने वाला ये नाविक का बेटा एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद में भारत के गाइडेड मिसाइल कार्यक्रम के अगुवाई करने वाला महान वैज्ञानिक कहलाया। कलाम ने 1963-64 में अमेरिका के नासा में पढ़ाई पाने का गौरव हासिल किया। मिसाइल मेन डॉक्टर कलाम की कितनी बातें करें समझ नहीं आता वो देश के पहले राष्ट्रपति थे।1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने वाले डॉक्टर कलाम तमिल भाषा में कविता कहने के अलावा संगीत मे रुचि रखते हुए वीना तक बजाना जानते थे। इतना ही नहीं कलाम कुरान के साथ साथ गीता भी पढ़ा करते थे। भारत रत्न और पद्मभूषण से सम्मानित होने वाले कलाम साल 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति के तौर पर देश का गौरव बने। गरीबी से निकलकर आए कलाम ने बतौर राष्ट्रपति देश की गरीब जनता का दिल छूने में कामयाब रहे। शिक्षा के अहमियत को जानने वाले कलाम ने देशवासियों को इसका महत्व समझाते हुए कहा कि यही वो ताकत है तो समाज में बदलाव ला सकती है। सोमवार 27 जुलाई 2015 को भारत और भारत की जनता के सपनों को जगाने वाला ये मामूली नाविक का महान बेटा अपने आख़िरी सफर पर निकल पड़ा है। तमाम देशवासियों की तरफ से अपोज़िशन न्यूज़ डॉट कॉम परिवार एपीजे अब्दुल कलाम को ख़राज ए अक़ीदद पेश करता है।