5 सितंबर को हमारे द्बारा दिखाई गई ख़बर का असर-प्रशासन ने लौटाई राहत सामग्री
मुज़फ़्फ़रनगर(11 सितंबर 2015)- पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी माना जाना वाला मुजफ्फरनगर आपसी भाई-चारे और सहयोग की भी मिसाल माना जता रहा है। नेपाल में आए भूकंप के बाद जिस तरह से यहां की अवाम ने पीड़ितों की मदद के लिए बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया उससे यहां के लोगों की इंसानियत का सबूत मिलता है।
लेकिन अफसोस नेपाल भूकंप पीड़ितो की मदद के लिए जनता द्वारा दी गई राहत सामग्री को तब से अब तक यहां का प्रशासन पीड़ितों तक न पहुंचा कर अपने दफ्तरों में दबाए बैठा रहा। 5 सितंबर को अपोजिशन न्यूज डॉट कॉम द्वारा इस खबर को ब्रेक किया गया। जिसके दो दिन बाद मुजफ्फरनगर कई जिम्मेदार मीडिया हाउसों ने इस ख़बर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। और प्रशासन ने अपनी लापरवाही को छिपाते हुए इस सामग्री को नीलाम करने या उसको संस्थाओं को वापिस करने का वादा किया। जिसके बाद कल यानि गुरुवार को ही कुछ मदद करने वाले लोगों और संस्थाओं को नेपाल भूकंप पीड़ितों के लिए जमा की गई राहत सामग्री को पीड़ितों तक न भेजे जाने की पोल खुलने के बाद वापस भी कर दिया गया है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या नेपाल भूंकप जैसी त्रास्दी के लिए जनता द्वारा दी गई राहत सामग्री को पीड़ितों तक न पहुंचाकर खुद दबाए बैठा रहने वाला प्रशासन अब जनता को भरोसा दोबारा हासिल कर पाएगा। इस बारे में शहर के कई लोगों का कहना है कि इस घिनौने कृत्य के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बहरहाल सबसे बड़ा अफसोस इसी बात का है कि पीड़ित राहत को तड़पते रहे और लाखों की राहत सामग्री को मुजफ्फरनगर प्रशासन तब तक दबाए बैठा रहा, जब तक कि उसकी पोल ही न खुल गई।
डीएम साहब के फोन पर उनकी आवाज़ की जगह सुनाई देता है गाना!
हांलाकि 5 सितंबर को हमारे सूत्र द्वारा दी खबर को प्रकाशित करते समय हमें एहसास था कि यह खबर पूरी तरह से सटीक थी मगर पत्रकारिता के मूल्यों को निर्वाह करते हुए जिलाधिकारी इस बारे में उनका बयान लेने की कोशिश की गई तो उनके मोबाइल पर उत्तर प्रदेश प्रशासन की मार्किटिंग करने वाला विज्ञापन तो सुनाई दिया लेकिन उनका फोन ही नहीं उठा। जिसके बाद हमने उनको अपने सवालों का मैसेज भी किया। इस बारे में उनके ही जिले के कई लोगों से जब बात की गई तो उन्होने बताया कि डीएम साहब को फोन करने पर गाना तो सनुई देता है।बहरहाल जिला