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अनुशासनहीनता का संदेश दे रहीं सपा की साइकिल रैलियां

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फरमान अली
गाजियाबाद(27अगस्त2015)- लगता है कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पार्टी हाईकमान का खौफ नहीं है। तभी तो पार्टी के आलाकमान के निर्देश पर प्रदेश सरकार की उपलब्धियों तथा पार्टी की रीतियों व नीतियों को जनजन तक पहुंचाने जिले में शुरू की गई साइकिल रैलियां अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रही है बल्कि यू कहें कि इन रैलियों से पार्टी में व्याप्त अनुशासनहीनता की पोल खोल रही है। जिसको लेकर पार्टी के पुराने कार्यकर्ता व नेता चिंतित हैं। उनका कहना है कि पार्टी हाईकमान को इसे गंभीरता से लेना चाहिए तथा अनुशासनहीनता करने वाले कार्यकर्ताओं व नेताओं के खिलाफ सख्ती बरतनी चाहिए।
samajwadi party cycle rally
प्रदेश में सपा सरकार को करीब साढे तीन साल का समय हो चुका है ।इस दौरान सरकार ने अनेक अच्छे कार्य भी किए हैं । यही कारण है कि पार्टी हाईकमान ने यह महसूस किया कि सरकार के अच्छे कार्यों व उपलब्धियों से आम जनता को अवगत कराया जाए ताकि पार्टी के प्रति लोगों में अच्छी धारणा बन सके। इसी मकसद के तहत पार्टी की ओर से प्रदेश में साइकिल रैलियां निकाली गई थी। गाजियाबाद में कावंड मेले के चलते यह साइकिल रैलियांें का आयोजन पिछले 22 अगस्त को शुरू किया गया था। जो 28 अगस्त तक चलेगा। लेकिन रैली के उदघाटन कार्यक्रम में जिस तरह कार्यकर्ताओं ने अनुशासनहीनता का परिचय दिया उसने उदघाटन करने आए पार्टी के राष्टीय महासचिव रामगोपाल यादव को भी अखरा और उन्होंने वहां मौजूद महानगर अध्यक्ष व अन्य नेताओं की जमकर खबर ली। बताया जाता है कि कुछ नेताओं को अस्पताल तक जाना पडा था। रामगोपाल ने कार्यकर्ताओं द्वारा दिखायी गई इस अनुशासनहीनता को गंभीरता से लिया तथा इसकी जांच के लिए पार्टी के दर्जाप्राप्त मंत्री राकेश यादव को इसकी जांच सौंपी। इसके बाद मौके पर की गई विडियो रिकार्डिंग खंगाली जा रही है। महानगर अध्यक्ष संजय यादव भी इसकी जांच कर रहे हैं। लेकिन कार्यकर्ताआंे पर इसका कोई असर अभी तक नहीं दिखाई दे रहा। साइकिल रैलियांे का क्या संदेश देना है और वह क्या दे रहे हैं इसकी उन्हें कोई परवाह ही नहीं है। इसका जीता जागता उदाहरण मुरादनगर की बुधवार को निकाली गई साइकिल रैली में भी देखने का मिला। मुरादनगर में राकेश यादव के सामने पार्टी के कार्यकर्ताओं मंे जमकर न केवल हंगामा हुआ बल्कि संजय यादव के साथ धक्का मुक्की भी हुई। मामला केवल दो अलग-अलग नेताओं द्वारा निकाली गई साइकिल रैली को पहले झंडी दिखाने का था। इनमें एक नेता पार्टी का मजबूत वोट बैंक माने जाने वाले मुस्लिम वर्ग से था जबकि दूसरा पार्टी के सर्वेसर्वा माने जाने वाले यादव समाज से था। आखिर ऐसा क्या हो रहा है। पार्टी कार्यकर्ता न तो अपने बडे नेताओं का लिहाज मान रहे हैं और न हीं उन्हें पार्टी की छवि का ही ख्याल है। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे गंभीरता ले रहे हैं। उनका कहना है कि इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि समय पार्टी में जमीनी कार्यकर्ताओं की कमी है और घोडे गाडी व पैसे से मबजूत नेता सबसे ज्यादा है। जो केवल फोटो खिंचवाकर आलाकमान को खुश करना चाहते है। यही कारण है कि जब रैली शुरू होती है तो उनमें फोटो खिंचवाने की होड रहती है जिसका नतीजा एक दूसरे के साथ धक्का-मुक्की व बदसलूकी यानि अनुशासनहीनता के रूप में आता है। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि सपा में मुसलमान व यादव नेताओं के बीच वर्चस्व को लेकर भी अहम टकराता है। दरअसल मुसलमानों नेता सोचते हैं उनके बिना सपा कुछ नहीं है जबकि यादव बिरादरी से जुडे नेता खुद की सरकार मानते हैं इसी के चलते उनके बीच कई बार टकराव भी देखा जाता है। सबसे बडा एक कारण यह भी है कि पुराने व जमीने नेताओं की पार्टी हाईकमान द्वारा उपेक्षा की जाती है जबकि दूसरे दलों से आए या पैसे वाले नेताओं को तरजीह दी जाती है जो अनुशासनहीनता का कारण बनता है। सपा के महानगर प्रवक्ता सरदार इंद्रजीत सिंह टीटू कहते हैं कि यह अनुशासनहीनता नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धा है। दरअसल कुछ कार्यकर्ता बडी मेहनत करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के प्रयास में रहते हैं लेकिन कुछ साधन संपन्न नेता तुरंत मौके पर पहुंचते हैं तथा गाडी से उतरकर फोटो खिंचवाकर चलते बनते है। इसके चलते यह विवाद बनते हैं।

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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