नई दिल्ली (19नवंबर2015)- राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 18 नवम्बर, 2015 को नई दिल्ली में घुड़सवार अधिकारी संघ द्वारा आयोजित घुड़सवारी स्मारक को संबोधित किया।
इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व कूटनीति के इतिहास में राष्ट्रों के बीच रिश्तों में तमाम उतार-चढ़ाव देखे गये हैं। यूरोप ने दो विश्व युद्ध देखे। ज्यादातर यूरोपीय शक्तियां सदियों तक एक-दूसरे से लड़ती रहीं। फिर भी पूर्व की आधी शताब्दी के दौरान इन देशों ने इतिहास में दर्ज सबक सीखे और साथ-साथ काम करने का फैसला किया। इन देशों ने साझा बाजार और साझा मुद्रा बनाई है। इन्होंने यूरोपीय यूनियन सृजित किया और एक यूरोपीय संसद को आकार दिया। दुनिया को बदल डालने के लिए सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक इंटरनेट है। यूरोप को एक करने में इंटरनेट शांति का उत्पाद है।
राष्ट्रपति ने कहा कि संपर्क गहरे रिश्ते के लिए बेहद जरूरी हैं। अपने नागरिकों की ज्यादा सुविधा के लिए हमने तीन बस सेवाएं संचालित की हैं। सड़क, रेल, नदियां, समुद्र, बिजली के तार, पेट्रोलियम पाइपलाइन और डिजिटल लिंक बढ़ने चाहिए। बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और भारत के बीच क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग भी गहरा होना चाहिए। भारत के रास्ते बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के बीच माल की ढुलाई की अनुमति परस्पर लाभ की व्यवस्था है। भारत के उत्तर-पूर्व और मुख्यभूमि से बांग्लादेश में भी माल की ढुलाई पर काम हुआ है। यह महत्वपूर्ण कदम है और इससे नजदीकी सहयोग बढ़ा है। साथ ही, दोनों देशों के वरिष्ठ नेताओं के बीच आये दिन संपर्क होता है।