नई दिल्ली(14 अगस्त 2017)- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति ने नोटबंदी के दौरान लोगों के धैर्य की तारीफ करते हुए कहा कि करप्शन के खिलाफ जनता का सरकार को पूरा समर्थन है। फन्होने न्यू इंडिया में विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की बात करते हुए कहा कि न्यू इंडिया को भारत के मानवतावादी मूल्यों के डीएनए को भी आत्मसात करने की जरूरत है। जिसमें न तो बेटा-बेटी और न ही धर्म के आधार पर कोई भेदभाव हो। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि न्यू इंडिया एक ऐसा समाज होना चाहिए जो भविष्य में तेजी से बढ़ने के साथ-साथ संवेदनशील भी हो।
उन्होंने कहा कि सरकारी नियुक्तियों और खरीद में भ्रष्टाचार को खत्म कर सरकार पारदर्शिता पर जोर दे रही है। राष्ट्र निर्माण में किसानों से लेकर जवानों की भूमिका का जिक्र करते हुए कोविंद ने कहा कि ‘न्यू इंडिया’ में गरीबी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के सहारे एक ही पीढ़ी के दौरान गरीबी मिटाने का लक्ष्य हासिल करना होगा। राष्ट्रपति ने शिक्षा से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अपने स्तर पर राष्ट्र निर्माण में योगदान करने की सलाह दी। स्वच्छ भारत अभियान के जरिये खुले में शौच की प्रथा खत्म करने, इंटरनेट शिक्षा और असमानता को दूर करने, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के जरिये बेटियों के साथ भेदभाव खत्म करने जैसे सरकार के कदमों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें जनता की भागीदारी जरूरी है। राष्ट्रपति कोविंद ने गांव की एक बेटी की शादी को पूरे गांव की जिम्मेदारी की पुरानी परंपरा का जिक्र करते हुए समाज में घटते अपनेपन का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने वाले एक करोड़ लोगों की पहल का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने उनके योगदान को सलाम किया। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी के साथ-साथ स्वाधीनता संघर्ष में क्रांतिकारियों और महान नेताओं के योगदान को भी याद किया। खास बात यह रही कि कोविंद ने गांधी, सुभाषचंद्र बोस, बाबा साहब अंबेडकर और सरदार पटेल के साथ पंडित नेहरू की भूमिका का भी उल्लेख किया। राष्ट्रपति ने नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं, जिन पर हमें आज भी गर्व है।